अंधेरे से रोशनी की ओर

 अंधेरे से घबराना नहीं 🌑

  अंधेरा सबकी जिंदगी में आता है, अंधेरा इंसान की जिंदगी में ही नहीं बल्कि जीव-जंतु पेड़-पौधे यहां तक कि हमारी धरती पर भी अंधेरा हर रोज आता है। क्योंकि ये रोशनी का ही दूसरा पहलू है। दुनियां में ऐसी कोई चीज नहीं है जिसकी परछाई ना बनती हो। हर चीज के दो पहलू होते हैं । परछाई की बात इसलिए कर रहे हैं, कि आप  कितने भी रोशनी में क्यों ना खड़े हो जाइए आपकी परछाई का कलर या किसी भी चीज की परछाई का कलर डार्क काला ही होता है उस परछाई का कलर कोई भी लाइट बदल नहीं सकती। जब कोई व्यक्ति चलता है, तब आप देखेंगे की उसी परछाई की अलग-अलग आकृति तो बदलती ही है साथ ही उसके चलने का ढंग भी बदल जाता है।  जैसे कि कभी हमारे आगे दिखाई देती है, या कभी हमारे पीछे, कभी हमारे साइड में मिलती है देखने को तो कभी हमारे बिल्कुल कदमों के नीचे दिखाई देती है जिसकी बहुत छोटी आकृति होती है। जैसी जैसी रोशनी हमारे शरीर पर पड़ती है वैसी वैसी हमारे शरीर की परछाई भी बदलती रहती है। हम यहां बताएंगे आखिर अंधेरा और रोशनी के बीच का रिश्ता क्या है, क्यों अंधेरा रोशनी से डरता है।

      



      



आखिर अंधेरा रोशनी से इतना डरता क्यों है।

  रोशनी अंधेरे की मां है -

       जब किसी की जिंदगी में अंधेरा आता है और वहां रोशनी आ जाए तब अंधेरा अपने आप दूर हो जाता है। क्योंकि उसको पता है कि वह रोशनी यानी अपनी मां का सामना नहीं कर पाएगा इसीलिए वह दूर हो जाता है। अब जब रोशनी किसी की जिंदगी में आती है तब अंधेरे को भी यह पता होता है कि वहां तो रोशनी है और मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा तो  वह उसकी जिंदगी से दूर हो जाता है और वह इंतजार करता है कि कब रोशनी यहां से जाए और मैं फिर से इसकी जिंदगी में रह सकूं। जब तक उसकी जिंदगी में रोशनी है, तब तक अंधेरा दूर रहता है। लेकिन रोशनी के जाते ही अंधेरा फिर से उसकी जिंदगी में शामिल हो जाता है। अब इसको दूर करने के लिए या तो आप रोशनी का इंतजार कीजिए या फिर आप खुद रोशनी को अपनी जिंदगी में लेकर आइए।



 क्या हम अंधेरे से बाहर निकल सकते हैं?

               जी हां हम अंधेरे से बाहर निकल सकते हैं, क्योंकि मन के हारे हार है, और मन के जीते जीत
     चलिए हम जानने की कोशिश करते हैं, कि हम अंधेरे से बाहर कैसे निकल सकते हैं। एक व्यक्ति होता है। जो सिर्फ अंधेरे से घिरा हुआ है, अब वो बैठकर यही सोच रहा है की मेरी जिंदगी में कुछ ज्यादा ही अंधेरा है। मैं जितनी कोशिश करता हूं अंधेरे से बाहर निकलने की, अंधेरा दुगनी तेजी से मेरे पीछे आ जाता  है। मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं। अब मैं थक चुका हूं इस अंधेरे ने मुझे चारों तरफ से घेरा हुआ है। मैं हारता जा रहा हूं और जब मुझे दूर से कहीं रोशनी दिखाई देती है, तो मन फिर से उत्साहित हो जाता है कि मैं जल्दी से दौड़कर उस रोशनी को छू पाऊ पर उस रोशनी को छूने के लिए मुझे कोई रास्ता नजर ही नहीं आता। शायद मेरे नसीब में ही नहीं है यह रोशनी लेकिन वह इतना नहीं समझ पाता कि वह रोशनी उसके घर में भी हो सकती है। वह व्यक्ति इसलिए नहीं सोच पा रहा क्योंकि उसने अपने मन को हरा दिया है और अपने दिमाग से अंधेरे से रोशनी की तरफ निकलने की उम्मीद ही छोड़ दी है। उस रोशनी को अपने घर तक लाने के लिए जरूरी नहीं है, कि हम उस रोशनी तक ही पहुंचे तभी हम अपना घर रोशन कर सकते हैं या अपनी जिंदगी को रोशन कर सकते हैं।
        उस जैसी रोशनी करने के लिए जरूरी नहीं है, कि आप उसी रोशनी को अपने घर तक लेकर आए, या आप उस रोशनी तक चलकर जाएं। आप उस अंधेरे से छुटकारा पाने के लिए एक छोटा सा दीपक जला कर देखिए। आप देखेंगे कि जिस अंधेरे ने आपको चारों तरफ से घेरा हुआ था, उस दीपक के जलते ही वह अंधेरा कुछ कदम पीछे हट चुका है। अब आप महसूस कीजिए कि जिस रोशनी तक आप पहुंचना चाहते थे। वो रौशनी आपके हाथों में है। आप महसूस कर पाएंगे कि जिस अंधेरे ने आपको इस कदर गिरा हुआ था कि शायद आप अपने आप को भी नहीं देख पा रहे थे लेकिन एक दीया जलते ही आप खुद को तो देख ही पा रहे हैं साथ ही आप आसपास की चीजों को भी कुछ कुछ महसूस कर पा रहे हैं क्योंकि दीए की रोशनी इतनी तेज नहीं है ना अभी अब आप रोशनी में हैं अब आपके चारों तरफ positive energy यानी रोशनी का घेरा बन चुका है। अब आपको अंधेरा छू भी नहीं पाएगा। बस आपको यही दीपक अपने मन में और अपनी जिंदगी में ये आखिरी उम्मीद का दिया कभी बुझने नहीं देना है। आप देखेंगे आप हर परेशानी से लड़ने को तैयार हैं। क्योंकि आपको अब अंधेरा छू भी नहीं पायेगा ।
      अगर आपको लग रहा है कि मेरे जीवन में रोशनी बची ही नहीं है। तो आप किसी ना किसी तरह से उस रोशनी से कनेक्ट होने की कोशिश कीजिए ।
      अगर व्यक्ति किसी परेशानी से जीतने की इच्छा रखता है तो वह जरूर जीतता है। बहुत से व्यक्ति इस अंधेरे से बाहर ही नहीं आ पाते क्योंकि वह जल्दी हताश हो जाते हैं और डिप्रेशन या हर्ट अटैक जैसी बीमारी से हार जाते हैं। तो आपको ना तो हताश होना है ना आप को हारना अपने मन को और अपने दिमाग को मजबूत रखिए यकीन मानिए बड़ी से बड़ी परेशानियाें से आप सामना भी कर पाएंगे।
 




 



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