अर्धचक्रासन

 अर्धचक्रासन  ( ardha chakrasana )

  अर्धचक्रासन का संस्कृत भाषा में अर्थ होता है, अर्ध- आधा,  चक्र- पहिया, आसन- मुद्रा,

  इस आसन में शरीर की आकृति पाहिये wheel  के समान होती है, इसलिए इसे अर्धचक्रासन कहते हैं। बहुत से लोग इसे भुजंगासन या सर्पासन भी कहते हैं, जो कि गलत है।

अर्धचक्रासन और भुजंगासन दोनों ही अलग है, अर्धचक्रासन खड़े होकर किया जाता है, परंतु भुजंगासन या सर्पासन लेट कर किया जाता है। इन आसन को एक समझने की गलती ना करें, दोनों ही बहुत अलग-अलग हैं। तो उम्मीद है यह समस्या दूर हो गई होगी आपकी, अर्धचक्रासन से कई बीमारियां दूर की जा सकती हैं। यह हमारी बीमारी को  anti dotका काम करता है।

    




  अर्धचक्रासन के फायदे

  इस आसन के अनेक फायदे हैं, इस आसन को करने के लाभ ही लाभ हैं, आजकल जो जीवन शैली हम जी रहे हैं, उससे हमारे शरीर में कई बीमारियां घर कर रही हैं। जैसे ऑक्सीजन की कमी, कंधों में दर्द, सिर दर्द, या गर्दन में दर्द ऐसी और भी अन्य बीमारियां जो हम इस आसन को करके दूर कर सकते हैं। हमारे पूर्वज हमेशा बताते रहे हैं, कि सुबह उठ कर योग जरूर करना चाहिए।

   अर्धचक्रासन करने से पेट की चर्बी के लिए बहुत फायदेमंद है, इससे पेट की चर्बी घटती है। साथ ही इस आसन को करने से चेहरे की चमक अच्छी रहती है। बाल झड़ना बंद हो जाते हैं, बाल स्वस्थ रहते हैं। अपने फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए इस आसन को जरूर करें । Backbone में भी आराम मिलेगा।

 अर्धचक्रासन नियमित अभ्यास करने से डायबिटीज के रोगी का ब्लड शुगर कंट्रोल किया जा सकता है, ये पेनक्रियाज को एक्टिवेट करके इंसुलिन की मात्रा खून में बनाए रखने में मदद करता है। अर्धचक्रासन पीठ की मांसपेशियों को संतुलित खिंचाव देता है जिससे पीठ की कोई अतिरिक्त स्ट्रेन हो तो उसको कम करता है। अगर किसी के हिप्स में दर्द रहता है तो इस अभ्यास को करने से हिप्स का दर्द बंद हो जाता है। अगर आप काफी टाइम से साइटिका से परेशान हैं तो आप इस अभ्यास को कर सकते हैं और इस साइटिका की प्रॉब्लम को दूर कर सकते हैं।  पूरे दिन ऑफिस में काम करने वालों के लिए यह अभ्यास किसी वरदान से कम नहीं।

  





अर्धचक्रासन करने की सही विधि

   इस अभ्यास को कैसे करें, जिससे आपको ज्यादा से ज्यादा फायदा हो, यह अभ्यास करने में बहुत सरल है, इस अभ्यास को खड़े होकर किया जाता है।

  सीधे खड़े हो जाएं, एड़ी और पंजों को एक साथ मिला लें, और दोनों हाथ कमर पर रखें और अपने शरीर का वजन दोनों पैरों पर समान रूप में रखें। सांस को अंदर की तरफ लेते हुए, कंधे, गर्दन और कोहनी को पीछे की तरफ ले जाएं इस अवस्था को कुछ देर बनाए रखें और सांस छोड़ते हुए अपनी पहली वाली स्थिति में आ जाए। यह आसन सिर्फ स्वस्थ व्यक्ति के लिए है। अगर आपको चक्कर आते हैं या balance बनाने में परेशानी आती हो तो इस आसन को करने के लिए दोनों पैर अपने कंधे के चौड़ाई में खोलने हैं फिर इस आसन को करना है। इस आसन को 3 से 5 बार ही करें।


   सावधानी अर्धचक्रासन से यह लोग करें परहेज

     जिन व्यक्तियों के कूल्हे या रीढ़ की हड्डी में कोई गंभीर समस्या हो वह इस आसन को बिल्कुल ना करें। अगर किसी को रक्तचाप या मानसिक विकार की समस्या है तो इस आसन को ना करें।जिन्हें आमाशय या ग्रहणी में घाव हो अथवा हानियों की तकलीफ हो उन्हें इस आसन को नहीं करना चाहिए। गर्भवती स्त्री भी इस आसन को ना करें क्योंकि इस आसन से पेट पर खींचाब पड़ता है, इससे गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान हो सकता है।   







    




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